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आँखिन देखी

डॉ. उमेश कुमार शर्मा

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Author: डॉ. उमेश कुमार शर्मा

परिचय : नाम : डाॅ. उमेश कुमार शर्मा जन्म : 15 अगस्त, 1985 ई., सहरसा (बिहार) योग्यता : एम.ए., पी-एच.डी. (हिन्दी)              नेट/जेआरएफ/एसआरएफ उत्तीर्ण।  रूचियाँ : साहित्यिक लेखन एवं अध्यापन। अवदान : देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में चर दर्जन  से अधिक कहानियाँ और  शोध-आलेख प्रकाशित।             आकाशवाणी से कहानियाँ का प्रसारित।             कुछ  कहानियों का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद।            "आँखन देखी" नामक ब्लॉग तथा फेसबुक पेज पर सक्रिय लेखन।           10 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन समेत अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय  संगोष्ठी में सक्रिय प्रतिभागिता।           सम्मान/ पुरस्कार : 1. प्रेमचंद समृति सम्मान -2023 2. नागार्जुन सम्मान- 2024 3. विश्व प्रसिद्ध नव उदित साहित्यकार सम्मान- 2024 सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक सह अध्यक्ष,                हिन्दी विभाग              श्री राधा कृष्ण गोयनका महाविद्यालय, सीतामढ़ी (बिहार) संपर्क : 6201464897 वाट्सप : 8877462692
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  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
हिन्दी : काम भी और नाम भी
1 min 0
  • आलेख

हिन्दी : काम भी और नाम भी

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • September 14, 2025
प्रिय पाठकों! लोग अक्सर पूछते हैं कि आज दुनिया कहाँ से कहाँ चली गयी है!…
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सूरदास के भ्रमरगीत की अंतर्वस्तु
1 min 0
  • आलेख

सूरदास के भ्रमरगीत की अंतर्वस्तु

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • September 14, 2025
हिन्दी साहित्य में ‘भ्रमरगीत-प्रसंग’ उद्धव-गोपी संवाद से सम्बन्धित रचनाओं के लिए प्रचलित है। ऐसी काव्य…
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अस्मितामूलक विमर्श और हाशिए का समाज
1 min 0
  • आलेख

अस्मितामूलक विमर्श और हाशिए का समाज

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • September 11, 2025
बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों में वैश्विक फलक पर उदारीकरण, भूमंडलीकरण और बाजारवाद का…
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1 min 0
  • आलेख

अस्मितामूलक विमर्श और हाशिए का समाज

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • September 11, 2025
अस्मितामूलक विमर्श और हाशिए का समाज बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों में वैश्विक फलक…
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1 min 0
  • आलेख

गूगल की अंधी दौर में गुरु

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • September 4, 2025
‘अप्प दीपो भव’ अर्थात् ‘अपना दीपक स्वयं बनो।’ महात्मा बुद्ध के इस सूक्ति वाक्य की…
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कुंवर नारायण की कविताओं में मिथकीय चेतना
1 min 0
  • समीक्षा

कुंवर नारायण की कविताओं में मिथकीय चेतना

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 26, 2025
हिन्दी के नये कवियों में कुंवर नारायण का नाम अत्यन्त सम्मान से लिया जाता है।…
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मुक्तिबोध की कविताओं में फैंटेसी
1 min 0
  • समीक्षा

मुक्तिबोध की कविताओं में फैंटेसी

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 25, 2025
प्रगतिवाद और प्रयोगवाद के बीच से अपने मार्ग संधान करने वाले कवि मुक्तिबोध ने मानव-जीवन…
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अस्मितामूलक विमर्श : अर्थ, स्वरूप और सिद्धांत
1 min 0
  • समीक्षा

अस्मितामूलक विमर्श : अर्थ, स्वरूप और सिद्धांत

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 17, 2025
‘अस्मिता’ शब्द संस्कृत भाषा के ‘अस्मिन’ से बना है। इसमें मूल धातु है- ‘अस्मि’, जिसका…
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बाणभट्ट की आत्मकथा : एक समीक्षा
1 min 0
  • समीक्षा

बाणभट्ट की आत्मकथा : एक समीक्षा

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 13, 2025
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी (1907-1979 ई.) हिन्दी के ऐसे ऐतिहासिक उपन्यासकार हैं, जिनके उपन्यास इतिहास के…
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मैला आँचल : वस्तु और शिल्प
1 min 0
  • समीक्षा

मैला आँचल : वस्तु और शिल्प

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 13, 2025
‘मैला आँचल’ हिन्दी के चर्चित कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु रचित आंचलिक उपन्यास है, जिसका प्रकाशन सन्…
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  1. अनमोल कुमार on राम : भारतीय मानस की सर्वोत्तम कल्पनाApril 6, 2025

    बहुत ही सुन्दर राम सत्य है या असत्य इसका कोई अर्थ हो न हो मगर राम के जीवन से सीखने…

  2. Annu Singh on आभासी तिलस्म में फँसी वर्तमान पीढ़ीOctober 16, 2024

    Hart Taichung sir ...bilkul sahi kaha sir apni 😞😞🤗🙏🙏

  3. Gaurav sharma on आभासी तिलस्म में फँसी वर्तमान पीढ़ीOctober 16, 2024

    वास्तविक सच्चाई 🙏

  4. सर्वेश कुमार। on दलित साहित्य का समकालीन संदर्भSeptember 3, 2024

    वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सही विचार। लेकिन आज़ न तो दलितों को सताने वाले जिन्दा है और न ही जो…

  5. डॉ. उमेश कुमार शर्मा on नदी के द्वीप : गहन अस्तित्वबोध की कविताAugust 12, 2024

    Thanks

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