झूठा है महावृत्तांत

झूठा है महावृत्तांत!

झूठी हैं, सब कहानियाँ

कुंठित है हमारा इतिहास और पुराण,

क्योंकि सत्य को अक्सर छिपाया है सबने

जिस सीता ने बाएँ हाथ से उठाया था शिव-धनुष

जिस पर प्रत्यंचा चढ़ाने में पस्त हो गये थे शूरवीर

उसे यूँ ही नहीं उठा पाया होगा रावण

वह लड़ी होगी, शक्ति भर अन्याय के खिलाफ 

और अंततः वह छल से हारी होगी,

जैसे आज भी छल से हार रही हैं सीता….!

यज्ञकुंड से उद्भूत द्रौपदी का

यूँ ही नहीं हुआ होगा चीरहरण

वह दमभर लड़ी होगी, असत्य के खिलाफ 

और तब हारी होगी, जब अपनों ने छला होगा उसे

जैसे आज भी अपनों से छली जाती हैं द्रौपदी!

अहिल्या पत्थर न हुई होगी गौतम के श्राप से

उसे पत्थर बनाया होगा, सामाजिक बहिष्कार ने

जैसे आज भी बलात्कार से नहीं, बहिष्कार से

पत्थर बन रही हैं अहिल्याएँ……..!

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