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आँखिन देखी

डॉ. उमेश कुमार शर्मा

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  • कहानी

लावारिश

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 12, 2024
पूस का महीना और कँपकपाती अंधेरी रात,जिसमें कुहरे के विशालकाय पर्वत को दो फाँक करते…
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कबीर का समय और समाज
2 min 0
  • Blog
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कबीर का समय और समाज

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 12, 2024
साहित्य वर्तमान की कोख से निकलकर अतीत और भविष्य दोनों को आलोकित करता है। साहित्यकार…
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1 min 0
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कैंडिल मार्च

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 12, 2024
एक महिला चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म तथा उसे जिन्दा जला देने के खिलाफ़ पूरा…
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1 min 0
  • समीक्षा

प्रेमचंद : भारतीय स्वाधीनता के स्वप्न- द्रष्टा

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 12, 2024
पराधीन भारत में स्वाधीन भारत के स्वप्नद्रष्टा कथाकार प्रेमचंद मूल रूप से सत्याग्रह- युग के…
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2 min 0
  • कहानी

वह दीपावली नहीं भूल पाया हूँ…….

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 10, 2024
वर्ष 2011 की दीपावली नहीं भूल पाया हूँ अब तक! तब मैं प्रथम श्रेणी से…
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2 min 2
  • Blog
  • समीक्षा

नदी के द्वीप : गहन अस्तित्वबोध की कविता

  • डॉ. उमेश कुमार शर्मा
  • August 10, 2024
                             …
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  • स्कन्दगुप्त : एक विहंगावलोकन
  • स्कंदगुप्त : एक विहंगावलोकन
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Recent Comments

  1. Annu Singh on आभासी तिलस्म में फँसी वर्तमान पीढ़ीOctober 16, 2024

    Hart Taichung sir ...bilkul sahi kaha sir apni 😞😞🤗🙏🙏

  2. Gaurav sharma on आभासी तिलस्म में फँसी वर्तमान पीढ़ीOctober 16, 2024

    वास्तविक सच्चाई 🙏

  3. सर्वेश कुमार। on दलित साहित्य का समकालीन संदर्भSeptember 3, 2024

    वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सही विचार। लेकिन आज़ न तो दलितों को सताने वाले जिन्दा है और न ही जो…

  4. डॉ. उमेश कुमार शर्मा on नदी के द्वीप : गहन अस्तित्वबोध की कविताAugust 12, 2024

    Thanks

  5. दीपक कुमार on नदी के द्वीप : गहन अस्तित्वबोध की कविताAugust 11, 2024

    बहुत सुंदर श्रीमानजी

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