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Month: August 2024
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समकालीन समाज की चुनौतियाँ और गांधीवाद की प्रासंगिकता।
भारतीय समाज अनेक जातियों, प्रजातियों, वर्गों, समुदायों, धर्मों, संप्रदायों का समुच्चय है। भारतीय संस्कृति की…
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गांधी का समाजवाद
आधुनिक भारत के निर्माण में महात्मा गाँधी के दर्शन तथा उनके समाजवादी विचारों की महत्ता…
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कोउ नृप होय हमै का हानि…..
मध्यकाल के युगद्रष्टा कवि गोस्वामी तुलसीदास रचित ‘रामचरितमानस’ की प्रसिद्ध पंक्ति- ‘कोउ नृप हो, हमै…
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झूठा है महावृत्तांत
झूठा है महावृत्तांत! झूठी हैं, सब कहानियाँ कुंठित है हमारा इतिहास और पुराण, क्योंकि सत्य…
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साहित्य और समाज
साहित्य और समाज के अंतर्संबंध तथा पारस्परिक निर्भरता को लेकर विद्वानों में सदा से विवाद…
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साहित्य और समाजशास्त्र
यह सर्वविदित है कि साहित्य और समाज का गहरा अंतर्संबंध है। प्रत्येक समाज का अपना…
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साहित्य का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण
‘साहित्य का समाजशास्त्र’ एक विधा के रूप में विकसित हो गया है, जिसमें साहित्य और…
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भूखे भजन न होई….
सत्तनाम!…..सत्तनाम! की रट लगाते हुए वह एक हाथ में कमंडल और दूसरे में सुमरनी लिए…